The Himachal Times

THE HIMACHAL TIMES NEWS

Search
Close this search box.

जीवन तो मिश्रण है, सुख और दुख का

जीवन तो मिश्रण है, सुख और दुख का , दोनों ही हो तो ही जीवन का रस है , इन दोनों के कारण ही जीवन में सौन्दर्य है।जिसने दुख का दंश न झेला हो , सुख क्या होता है, उसे क्या पता, सुख का आनन्द भी उसे ही उपलब्ध होता है, जिसने दुख को जाना हो। जीवन में सुख उतना महत्वपूर्ण नही है, जितना कि दुख । दुख न हो तो हमें स्वयं का कभी ख़याल ही न आये , स्वयं यानी परमात्मा । दुख हमें स्वयं की अनुभूति कराता है, परमात्मा के निकट लाता है, होश जगाता है, दुख में ही हम स्वयं को अच्छी प्रकार देख पाते है, स्वयं को जान पाते।दुख सहायक है, विरोधी नही , दुख जागरण है। सुख सुलाता है, बेहोशी लाता है, यदि आदमी सदैव सुख में ही रहे , तो वो स्वयं से कभी परिचित नही हो पायेगा, स्वयं को कभी उपलब्ध नही हो पायेगा। और इस जगत में स्वयं के अतिरिक्त और कुछ भी पाने योग्य नही है, स्वयं के अतिरिक्त यहाँ कुछ और पाया ही नही जा सकता।जब सुख और दुख में कोई फ़र्क़ ही न रहे , तो ही जीवन में रस आता है, तो ही जीवन में आनन्द बरसता है।
????ओशो????

यह भी पढ़ें

टॉप स्टोरीज